(तर्ज – जिया बेक़रार है)

कुशल कुशल दातार है, भक्तों का आधार है।
कोई निराश न जाये ऐसा, दादा का दरबार है।। स्थाई।।

कुशलसूरी गुरुदेव आपकी, कीर्ति जग विख्यात है।
इस कलियुग में अद्भुत ज्योति, प्रकट रही साक्षात है।।
खरततरगच्छ श्रृंगार है, महिमा अपारमपार है।। कोई।।

गुरु चरणों की पूजा करने, लाखों पुजारी आते हैं।
केशर चन्दन पुष्प सुगन्धी, नैवेद्य चढ़ाते हैं।।
पढ़ते पूजा पाठ हैं, वाह्य यंत्रों का ठाठ है।। कोई।।

जैन अजैन सभी आते हैं, दादा तेरे द्वार पर।
मनोकामना पूरी होती, थाल भर भर लाते हैं।।
कुछ ऐसा चमत्कार है, सब करते नमस्कार है।। कोई।।

ज्ञान मण्डली चरण शरण में, विनती लेकर आई है।
“सजन” ने गुरु चरणों में, अपनी अरदास सुनाई है।।
पूजा की बहार है, जयन्ती जय-जयकार है।। कोई।।

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