(तरज : तुझे देखकर जलवाले को)

नाम है तेरा तारण हारा,
कब तेरा दर्शन होगा।।
जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर,
वो कितना सुन्दर होगा।। आऽऽऽ।।

सुखर मुनिवर जिनके चरण,
निशदिन शीश झुकाते हैं।
जो गाते हैं गुरु की महिमा,
वो सब कुछ पा जाते हैं।।
अपने कष्ट मिटाने को, तेरे चरणों में वन्दन होगा।। १।।

तुमसे तारे लाखों प्राणी,
ये आगम की वाणी है।
तेरी छवि पर mesmerized गुरुवर,
ये दुनियाँ दीवानी है।।
झूम-झूम तेरे गीत सुनाए, मन्दिर में मंगल होगा।। २।।

मन की मुरादें लेकर स्वामी,
तेरे चरणों में आये हैं।
युवक मण्डल के ये बालक,
तेरे ही गुण गाते हैं।।
जग से पार उतरने को, तेरे गीतों का सरगम होगा।। ३।।

जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर,
वो कितना सुन्दर होगा।।

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