
वारी जाऊं गुरुराय चरण की
(तर्ज – जिनदत्तमूरिसंहिता सांगवर – कहरवा)
वारी जाऊँ गुरुराय, चरण की, वारी जाऊँ
श्रीजनतत्सुरि सदगुरु, सकल घणो सेवा चरण की
प्रथम सुमंगलाचार की सेवा, अशुभ कर्म सब हरण
सत्सद्रूप भंजन, अपी सब गंजन, पाप-पा सामा गि
मोहि नहीं एवरे अनोरो, शरण गही इन चरण की ।५
प्रणिपात करूँ चरणको दासा, आशा पूरा सुखा की
आज की घड़िया सफल भई हैं
(तर्ज – प्रभाती)
आज की घड़िया सफल भई हैं; गुरु दर्शन में प्यारा
आज रोगंग आनन्द चुरण, ऐसो बिरुद धरायया है ।
आगा पूरण सदगुरु चुपंग, ऐसो बिरुद धरायया है ।
आरती चुरै बंधित पूरा, त्रिविध सिजे सुख दाया है ।
है देश में महिमा तेरी, सुन ले हर्ष न माया है ।
मन बचन कायाकल्पन करू पुणिरन खेत्त त्यागया है ।
आगी देव में कभी न ध्याऊँ, गुरुरवरणों चित लाया है ।
सेवक का जोड़ी हम विवले, हस्स हर्ष गुण गाया है ।