(तर्ज – जहाँ डाल डाल पर सोने की चिड़ियाँ)

जिन शासन के उजियारे हो, मणिधारी चन्द्र सूरिश्वर,
दर्शन दो आज दया कर – १।
जिनदत्त सूरि के पदधारी – जैनों में एक प्रकार,
दर्शन दो आज दया कर – २।।

गुरु, मदनपाल महाराजा को – तुमने ही दी थी दीक्षा,
प्रचार कराया जैन धर्म का – सच्ची दी थी शिक्षा – २।
यहाँ त्याग और तप–संयम का – उपदेश दिया समझा कर,
दर्शन दो आज दया कर –।।

था अलौकिक वो चमत्कार – जो रथी न उठने पाई,
तब हुआ प्रभावित बादशाह – मिल महिमा सबने गाई – २।
यह महरौली की दादाबाड़ी – वही धरा है मनहर,
दर्शन दो आज दया कर –।।

हम नत मस्तक हो चरण कमल में – श्रद्धा सुमन चढ़ाते,
हैं कोटि–कोटि उपकार संघ पे – कभी भूल न पाते – २।
गूँज रही जयकार तुम्हारी – आज विश्व में गुरुवर।।

जिन शासन के उजियारे हो, मणिधारी चन्द्र सूरिश्वर,
दर्शन दो आज दया कर – १।

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