
चरणों में रहूँ हरदम
(तर्ज : होठों से छू लो तुम …..)
चरणों में रहूँ हरदम, हे नाथ कृपा कर दो
भक्ति में रहूँ तनमय, मुझे ऐसी शक्ति दो।।
यहाँ कोई न अपना है, स्वार्थ की दुनियां में
बस तुम ही सहारे हो, जीवन की बगियां में
तुम ज्ञान की वाणी से, अज्ञान तिमिर हर दो
चरणों में रहूँ ……
जब जब भी भक्तों पे, कोई संकट आता है
गुरु नाम के सुमरन से, पल में टल जाता है
सच्ची मंजिल देकर, मेरा जनम सफल कर दो
चरणों में रहूँ ……
तेरे दर का भिखारी मैं, चरणों का पुजारी हूँ
लाखों वंदन तुमको, पापी संसारी हूँ।।
मेरे मन मंदिर में आ, प्रभु दर्शन मुझे दे दो
चरणों में रहूँ हरदम, हे नाथ कृपा कर दो
भक्ति में रहूँ तनमय, मुझे ऐसी शक्ति दो।।